देहरादून: उत्तराखंड में 2025 में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होने जा रहा है, और इसकी तैयारी पूरी रफ़्तार में है। इसी कड़ी में, युवा कल्याण एवं प्रांतीय रक्षक दल विभाग द्वारा ‘युवा महोत्सव’ के दूसरे दिन के आयोजन के अंतर्गत खेल विज्ञान पर विशेषज्ञों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र का आयोजन किया गया।
सत्र में खेल विज्ञान के विशेषज्ञ अजींक्य केस्कर (संस्थापक, स्पोर्ट्स प्लस), डॉ. श्रुति (खेल वैज्ञानिक), प्रतीक निनावे (स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच) मौजूद थे। सत्र में खेल वैज्ञानिको ने खेल विज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की।
डॉ. श्रुति का मानना है कि एक एथलीट की सफलता केवल उसकी व्यक्तिगत क्षमताओं पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसके साथ काम करने वाली पूरी टीम का सहयोग भी महत्वपूर्ण होता है। खेल विज्ञान और कोचिंग के बीच सही तालमेल एथलीटों को उनकी अधिकतम क्षमता तक पहुँचने में मदद करता है।
अजींक्य केस्कर ने कहा, “खिलाड़ियों के प्रशिक्षण विधियों और खेल विज्ञान का समन्वय अभी कम है, लेकिन हम इस पर जल्द ही सुधार करेंगे। एथलीट को अपनी शारीरिक बनावट और अनुवांशिकी को समझना चाहिए, ताकि वे जिस खेल के लिए उपयुक्त हों, उसका चयन कर सकें। एथलीट को किसी एक खेल में कठोरता से बंधा नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें अपने अंदर के प्राकृतिक प्रतिभा की खोज करते हुए सही प्रशिक्षण के साथ उसका समन्वय करना चाहिए।”
प्रतीक जो की स्ट्रेंथ एंड कोचिंग कोच हैं ने कहा कि एथलीट की सफलता में पूरी टीम का योगदान होता है। उन्होंने हॉकी टीम के साथ भी काम किया है। उन्होंने बताया कि कोच और खेल विज्ञान के विशेषज्ञों को साथ मिलकर काम करना चाहिए। भारत में अब खेल विज्ञान को समर्थन मिलना शुरू हो गया है, और यह संस्कृति धीरे-धीरे विकसित हो रही है। खिलाड़ियों को विभिन्न खेलों में लचीलापन बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वे बहुमुखी खिलाड़ी बन सकें।
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